बौद्ध धर्म का पतन (Decline of Buddhism)

बौद्ध धर्म का पतन

परिचय – बौद्ध धम्म दुनिया के सभी मुख्य धर्मो में से एक है और बौद्ध धम्म सभी धर्मो में दुनिया में तीसरे सबसे बडे स्थान पर आता है। विश्व भर में लगभग 56 से ज्यादा देशों में पूर्ण रूप से बुद्धिस्ट प्रभाव हैं। इसलिये यह कहना उचित नही होगा कि बौद्ध धम्म का पतन हो चुका है। लेकिन एक बडी चिंता का विषय है कि पूरी दुनिया में बौद्ध धम्म भारत से गया, लेकिन भारत ही बुद्धिस्ट देश बनने से वंचित रह गया। इसके बहुत सारे कारण हैं जिनमें से निम्न मुख्य रूप से हैं –

बौद्ध धर्म का पतन

बौद्ध धम्म पतन के अन्तरिम कारण -

1. बौद्ध धम्म में एक बौद्ध भिक्खू बनने के लिए उसको अपना गृहत्याग, संपत्ति व अन्य सामाजिक चीजों का त्याग करना पड़ता था। बौद्ध भिक्खू बनने के लिये संघ के नियमों को अपनाना पडता था जो पारिवारिक व्यक्ति के लिये बहुत मुश्किल होता था। बौद्ध धम्म के पतन का यह भी एक सबसे बडा कारण बना।
2. 2500 वर्षों तक बौद्ध धम्म में किसी महापुरुष का जन्म ना लेना जिसके कारण बौद्ध धर्म की विचारधारा व संस्कृति समय के साथ क्षय होना भी एक कारण बना।
3. बौद्ध धर्म में केवल भिक्खू संघ होता था ग्रहस्तो के लिए बौद्ध धर्म प्रतिबंधित रहा जिसके कारण बौद्ध धर्म भिक्खू संघ तक सिमट कर रह गया।
4. समय के साथ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा घूम घूम कर विचरण करना कम कर दिया गया और भिक्खू संघ केवल बौद्ध बिहारो, मठों, स्थलों, स्तूपों तक सीमित रहे। बौद्ध धम्म के पतन का यह भी एक सबसे बडा कारण बना।
5. सम्राट अशोक जैसा बौद्ध धर्म का प्रचार प्रसार करने वाला अन्य कोई राजा भारत के इतिहास में ना होना, क्योंकि जिस प्रकार का कार्य सम्राट अशोक ने अपने शासन काल में किया था लगभग 2500 वर्षों के इस समय अंतराल में किसी भी राजा द्वारा इस प्रकार का कार्य किसी भी अन्य राजा द्वारा न किया जाना। बौद्ध धम्म के पतन का कारण बना।
6. बुद्ध के महापरिनिर्वण के लगभग 100 वर्ष बाद बौद्ध धर्म हीनयान और महायान शाखाओं में विभक्त हो गया जिसके कारण बौद्ध धर्म की एक विचारधारा दो विचारधाराओं में बट गई।
7. बुद्ध के महापरिनिर्वण के कुछ समय बाद बौद्ध धर्म हीनयान और महायान शाखाओं में अन्य शाखा जैसे थेरवाद और वज्रयान आदि शाखाओं का परिवर्तन/जुडना/टूटना होना भी बौद्ध धम्म के पतन का कारण बना।

बौद्ध धम्म पतन के बाहरी कारण -

बौद्ध धर्म का पतन

8. भारत में ब्राह्मणों (आर्यो) द्वारा मध्य एशिया से लाई गई अपनी संस्कृति को भारत में लाकर थोपना तथा ब्राह्मणवाद को भारत में फैलाना बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
9. बौद्ध धम्म में अनेक पंथ (जाति व धर्म) के लोगों का संघ में आना और संघ के मूल सिद्धांतों (नैतिकता) के विरूद्व जाकर आचरण करना भी बौद्ध धम्म के पतन का कारण बना।
10. भारत में ब्राह्मणवाद द्वारा अंधविश्वास, पाखंड व रूढ़ीवादिता को बढ़ावा देना, जो वक्त के साथ बौद्ध संस्कृति पर हावी होना भी बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
11. भारत पर समय समय पर विदेशी आक्रमणकारीयों द्वारा आक्रमण कर अपनी संस्कृति को भारत में लाना और उसको थोपना भी बौद्ध धम्म के पतन का बडा कारण बना। जिसमें अरब, तुर्की, पर्शिया/ईरान, यूनानी/ग्रीक आदि आक्रमणकारी शामिल हैं।
12. बौद्ध धम्म के चरम पर होने के समय ही सबसे ज्यादा विदेशी आक्रमणकारी कुशाण, हूणों, यवन, शक, व पहलव आदि ने भारत पर आक्रमण किया और यहाॅ आकर बस गये।
13. सभी आक्रमणकारी भारत के वातावरण में शामिल तो गये लेकिन बोली, भाषा, खान-पान, रहन-सहन, पहनावा आदि अलग होने के कारण पूर्ण रूप से प्रभावित न हो सके।

बौद्ध धम्म पतन के ऐतिहासिक कारण -

बौद्ध धर्म का पतन

14. सातवीं और आठवीं शताब्दी के बाद बुद्धिज्म राजाओं का क्षय व कम होना भी बुद्धिज्म के पतन का एक कारण बना। क्योंकि लगभग 06 शदाब्दी तक बौद्ध धर्म के राजा इतिहास में हुए किन्तु उसके बाद देखने को नही मिलते।
15. सातवीं सदी के बाद मुस्लिम राजाओं का भारत में आना और लगभग 1000 वर्षों के लंबे अंतराल तक मुस्लिम राजाओं का शासन करना भी बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
16. भारत के इतिहास में कुछ गैर बुद्धिस्टया एंटी बुद्धिस्ट राजाओं का होना और उनके द्वारा बुध विहार, स्तूपों, बौद्ध भिक्षुओं का विनाश करना भी बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
17. जिसमें बंगाल का राजा शशांक, असम का राजा गौर, और शुंग राजा पुष्य मित्र शुंग द्वारा बौद्ध धर्म का खुलकर विरोध करना तथा बौद्ध भिक्षुओं को मारना आदि भी बुद्धिज्म का पतन का कारण बना।
18. सम्राट अशोक द्वारा लिखे गए शिलालेखों, अशोक स्तंभों को लंबे समय तक किसी के द्वारा न पड़े जाना भी, बुद्धिज्म के पतन का एक कारण बना।
19. भारत के इतिहास में बौद्ध धम्म के समय व उसके बाद की भाषा और लिपि को कुछ संकीर्ण मानसिकता वाले व्यक्तियों द्वारा पाली व पाली प्राकृत मुख्य भाषाओं को महत्त्व ना दे कर अन्य भाषा व लिपियों को बढ़ावा दिया गया जिसके कारण पाली प्राकृत का भारत के इतिहास में एक समय बाद विलुप्त हो गया जो बौद्ध संस्कृति के पतन का एक कारण बना।
20. भाषा के विकास के कारण नागरी व देव नागरी लिपियो का विकास हुआ तथा ब्राह्मणों द्वारा संस्कृत भाषा को बढ़ावा देकर अपने सभी धर्मग्रंथों को संस्कृत भाषा में लिख कर उनमें मनगढ़त कहानियों को लिख कर लोगों के बीच प्रचार प्रसार करना भी बुद्धिज्म के पतन का एक कारण बना।
21. भारत में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्व विधालयो को नष्ट करना भी बौद्ध संस्कृति के पतन का एक कारण बना। क्योकि तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्व विधालय बौद्ध संस्कृति के गढ रहे।

बौद्ध धम्म पतन के महत्त्वपूर्ण बिन्दू -

बौद्ध धर्म का पतन

22. भारत में इतिहास को जानने पर यह समझ में आता है कि भारत में शिक्षा का बहुत बड़ा अभाव रहा है जिसके कारण भारत में अंधविश्वास, पाखंड और रूढ़िवादिता आसानी से फली-फूली और चुकी बौद्ध धम्म तर्क और वैज्ञानिकता पर आधारित है इसलिए यह भी एक बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
23. बौद्ध विहारो, मन्दिरों, मठो, स्तूपों, आदि को कुंठित विचारधारा वाले मनुवादियों द्वारा जमिदोस करना अर्थात उनको मिट्टी में दफन कर दिया गया जो बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
24. भारत के मध्यकालीन इतिहास में देवनागरी लिपि के विकास क्रम के बाद जब हिंदू धर्म के धर्म ग्रन्थ लिखे गए तो उसमें ब्राह्मणों द्वारा शिक्षा कों केवल अपने तक सीमित रखना भी बुद्धिज्म के पतन का एक कारण बना। क्योंकि हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार शिक्षा का अधिकार केवल उच्च वर्ग को था जिसके कारण शिक्षा का स्तर केवल एक वर्ग विशेष तक सीमित रहा।
25. बौद्ध राजाओं को हिंसा न करने के कारण उनको कायर, कमजोर आदि बताकर षड़यंत्र के तहत मारा गया। उदाहरण के तौर पर मौर्य कालीन अन्तिम राजा वृहदरथ मौर्य को पुश्यमित्र शुंग द्वारा मारा गया।
26. बौद्ध भिक्खूओं का षड़यंत्र के तहत कत्लेआम किया गया ताकि बुद्धिज्म को खत्म किया जा सके। बौद्ध धम्म के पतन का सबसे बडा कारण बना।
27. बौद्ध धम्म के पतन में एक मुख्य कारण यह भी है कि भारत में बाह्ममण नाम की एक जाति पाई जाती है जो अन्य देशों में नही है और इस जाति का अन्य देशों में प्रभाव न होने के कारण ही वहाॅ बुद्धिज्म खूब फला-फूला लेकिन भारत में बाह्ममण ने अपने धर्मग्रंथों द्वारा खूब पाखंड व अंधविश्वास को बढावा दिया।

                                                                                                                 (कपिल बौद्ध)

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