अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और आंदोलन क्यों?

परिचयः-

अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और आंदोलन क्यों? क्योंकि अंग्रेजों का भारत में आना और भारत पर 150 वर्षों तक राज करना भारत के शूद्रों और महिलाओं के लिये वरदान साबित हुआ तथा शूद्रों और महिलाओं की आजादी का सबसे बडा टर्निंग पाॅइंट रहा। ब्राह्मणों ने अंग्रेजों को भगाने का हथियार बन्द आंदोलन क्यों चलाया? जबकि भारत पर सबसे पहले हमला मुस्लिम शासक मीर काशीम ने 712 ई. में किया, उसके बाद महमूद गजनबी, मोहमंद गौरी, चन्गेज खांन ने हमला किया और फिर कुतुबदीन एबक, गुलामवंश, तुगलकवंश, खिलजीवंश, लोदीवंश फिर मुगल आदि वन्शो ने भारत पर लगभग 1000 वर्षों तक राज किया और खूब अत्याचार किए लेकिन ब्राह्मण ने कोई क्रांति या आंदोलन नही चलाया ? फिर अंग्रेजो के खिलाफ ही क्रान्ति और आंदोलन क्यों चलाया ? आइए समझते है।

अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और आंदोलन क्यों?

अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति और आंदोलन की वजह -

01. 1795 ईस्वी में अंग्रेजों ने अधिनियम 11 द्वारा शूद्रों को भी संपत्ति रखने का कानून बनाया।
02. 1773 ईस्वी में ईस्ट इंडिया कंपनी ने रेगुलेटिंग एक्ट पास किया जिसमें न्याय व्यवस्था समानता पर आधारित थी 16 में 1975 को इसी कानून द्वारा बंगाल के सामंत ब्राह्मण नंदकुमार देव को फांसी हुई थी।
03. 1804 अधिनियम 3 द्वारा कन्या हत्या पर अंग्रेजों ने रोक लगाई, लड़कियों के पैदा होते ही तालू में अफीम चिपका कर, स्तन पर धतूरे का लेप लगाकर एवं गड्ढा बनवाकर उसमें दूध डालकर डुबोकर मारा जाता था
04. 1813 ईस्वी में ब्रिटिश सरकार ने कानून बनाकर शिक्षा ग्रहण करने का सभी जातियों और धर्मो के लोगों को अधिकार दिया।
05. 1813 ईस्वी में अंग्रेजों ने दास प्रथा का अंत कानून बनाकर किया।
06. 1817 ईस्वी में समान नागरिक संहिता कानून बनाया, 1817 के पहले सजा का प्रावधान वर्ण के आधार पर ब्राह्मण को कोई सजा नहीं होती थी और शूद्र को कठोर दंड दिया जाता था।
07. 1819 ईस्वी में अधिनियम 7 द्वारा ब्राह्मणों द्वारा शूद्रों स्त्रियों के शुद्धिकरण पर रोक लगाई। षूद्रों की शादी होने पर दुल्हन को अपने यानी दूल्हे के घर न जाकर कम से कम तीन रात ब्राह्मणों के घर शारीरिक सेवा देनी पड़ती थी। वर्तमान में इसे झूठन प्रथा के रूप में निभाया जाता है।
08. 1830 ईस्वी में नरबलि प्रथा पर रोक लगाई। देवी-देवता को प्रसन्न करने के लिए ब्राह्मण शूद्रों, स्त्री व पुरुषों दोनों को मंदिर में सर पटक पटक कर चढ़ा देता था।
09. 1833 ईस्वी अधिनियम 87 द्वारा सरकारी सेवा में भेदभाव पर रोक लगाई अर्थात योग्यता ही सेवा का आधार स्वीकार किया गया और कंपनी के अधीन किसी भारतीय नागरिक को जन्म, स्थान, धर्म, जाति या रंग के आधार पर पद से वंचित नहीं रखा जा सकता ऐसा कानून बनाया।
10. 1834 ईस्वी में अग्रेजो ने भारत में समता वादी शिक्षा नीति लागू की, और पहला भारतीय विधि आयोग का गठन किया। लार्ड मैकाले ने ईस्ट इंडिया कम्पनी की तरफ से कई स्कूल खुलवाये।

देश की आज़ादी अंग्रेजों के खिलाफ ही क्यों ?

11. 1835 ईस्वी में प्रथम पुत्र को गंगा दान पर रोक लगाई गई। ब्राह्मणों ने नियम बनाया की शूद्रों के घर यदि पहला बच्चा लड़का पैदा हो तो उसे गंगा में फेंक देना चाहिए, क्योकि पहला पुत्र हश्ट पुश्ट एवं स्वास्थ्य पैदा होता है ब्राह्मणों को यह डर था कि कही बडा होकर यह बच्चा ब्राह्मणों से लड़ ना पाए इसीलिए पैदा होते ही गंगा में दान करवा देते थे।
12. 07 मार्च 1835 को लॉर्ड मैकाले ने शिक्षा नीति राज्य का विषय बनाया और उच्च शिक्षा को अंग्रेजी भाषा का माध्यम बनाया गया।
13. 1835 ईस्वी को कानून बनाकर अंग्रेजों ने शूद्रों को कुर्सी पर बैठने का अधिकार दिया।
14. दिसंबर 1829 के नियम 17 द्वारा विधवाओं को जलाना अवैध घोषित कर सती प्रथा का अंत किया।
15. 1837 ईस्वी अधिनियम द्वारा ठगी प्रथा का अंत किया।
16. 1849 ईस्वी में कोलकाता में एक बालिका विद्यालय जेईडी बेटन ने स्थापित किया।
17. 1854 ईस्वी में अंग्रेजों ने विश्वविद्यालय कोलकाता मद्रास और मुंबई में स्थापित किया। 1902 में विश्वविद्यालय आयोग नियुक्त किया गया।
18. 6 अक्टूबर 1860 को अंग्रेजों ने इंडियन पीनल कोड (Indian Penal Code, IPC) बनाया। लॉर्ड मैकाले ने इंडियन पीनल कोड के द्वारा सदियों से ब्राह्मणों की गुलामी में जकडे शूद्रों की जंजीरों को काट दिया और भारत में जाति, वर्ण, धर्म के बिना एक समान क्रिमिनल लॉ लागू कर दिया।
19. 1863 ईस्वी अंग्रेजों ने कानून बनाकर चरक पूजा पर रोक लगा दिया। इस पूजा में आलीशान भवन एवं पुल निर्माण पर शूद्रों को पड़कर जिंदा चुनवा दिया जाता था और ऐसी झूठी मान्यता बनाई कि ऐसा करने से भवन पुल निर्माण ज्यादा दिनों तक टिकाऊ रहेंगे।
20. 1867 ईस्वी में बहु विवाह प्रथा पर पूरे देश में प्रतिबंध लगाने के उद्देश्य से बंगाल सरकार ने एक कमेटी गठित किया।
21. 1871 ईस्वी में अंग्रेजों ने भारत में जातिवार जनगणना प्रारंभ की यह जनगणना 1941 तक हुई 1948 में पंडित नेहरू ने कानून बनाकर जातिवार जनगणना पर रोक लगा दी।
22. 1872 ईस्वी में सिविल मैरिज एक्ट द्वारा 14 वर्ष से कम आयु की कन्याओं एवं 18 वर्ष से कम आयु के लड़कों का विवाह वर्जित करके बाल विवाह पर रोक लगाई।
23. 01 मार्च 1943 को अंग्रेजों ने महार और चमार रेजीमेंट बनाकर इन जातियों को सेवा में भर्ती किया। ब्राह्मणों के दबाव के कारण सेना में अछूतों की भर्ती बंद कर दी गई।
24. रैयत वाड़ी पद्धति अंग्रेजों ने बनाकर प्रत्येक पंजीकृत भूमिदार को भूमि का स्वामी स्वीकार किया।
25. 1918 ईस्वी में साउथ ब्यूरो कमेटी को भारत में अंग्रेजों ने भेजा। यह कमेटी भारत में सभी जातियों का विधि मंडल कानून बनाने की संस्था में भागीदारी के लिए आया था। साहू जी महाराज के कहने पर पिछड़ों के नेता भास्कर राव जाधव ने एवं डॉ अंबेडकर ने अपने लोगों को विधि मंडल में भागीदारी के लिए मेमोरेंडम दिया।

British

अंग्रेज कितने सही कितने गलत ?

26. 1919 ईस्वी में अंग्रेजों ने भारत सरकार अधिनियम का गठन किया।
27. 1919 ईस्वी में अंग्रेजों ने ब्राह्मणों के जज बनने पर रोक लगा दी थी और कहा कि उनके अंदर न्यायिक चरित्र नहीं होता है।
28. 25 दिसंबर 1927 को डॉक्टर अंबेडकर द्वारा मनुस्मृति का दहन किया। मनुस्मृति में षूद्रों और महिलाओं को गुलाम तथा भोग की वस्तु समझा जाता था एक पुरुष को अनगिनत शादियां करने का धार्मिक अधिकार है महिला अधिकार विहीन तथा दासी की स्थिति में थी।
29. 1927 ईस्वी को अंग्रेजों ने कानून बनाकर शूद्रों को सार्वजनिक स्थानों पर जाने का अधिकार दिया।
30. नवंबर 1927 में साइमन कमीशन (Simon Commission) की नियुक्ति की जो 1928 में भारत के अछूत लोगों की स्थिति की सर्वे करने और उनके उनको अतिरिक्त अधिकार देने के लिए आया। भारत के लोगों को अंग्रेज अधिकार न दें सके इसीलिए इस कमीशन के भारत पहुंचते ही गांधी और लाला लाजपत राय ने इस कमीशन के विरोध में बहुत बड़ा आंदोलन चलाया।
31. 01 मार्च 1930 को डॉ आंबेडकर द्वारा कला राम मंदिर नासिक प्रवेश का आंदोलन चलाया था।
32. 24 सितंबर 1932 को अंग्रेजों ने कम्युनल अवार्ड घोषित किया
19 मार्च 1928 को बेगारी प्रथा के विरुद्ध डॉक्टर अंबेडकर ने मुंबई विधान परिषद में आवाज उठाई जिसके बाद अंग्रेजों ने इस प्रथा को समाप्त कर दिया। इस प्रथा के अनुसार शूद्रों को काम के बदले कुछ नही दिया जाता था।
34. 1934 ईस्वी में ब्रिटिष सरकार ने बाॅम्बे देवदासी संरक्षण अधिनियम पारित कर देवदासी प्रथा पर रोक लगाई। ब्राह्मणों के कहने से शुद्ध अपनी लड़कियों को मंदिर की सेवा के लिए दान देते थे मंदिर के पुजारी उनका शारीरिक शोषण करते थे बच्चा पैदा होने पर उसे फेंक देते थे या फिर उन बच्चों को हरिजन नाम देते थे।
1921 को जातिवाद जनगणना के आंकड़े के अनुसार अकेले मद्रास में कुल जनसंख्या 04 करोड़ 23 लाख थी जिसमें 02 लाख देवदासियों मंदिरों में पाई गई यह प्रथा अभी भी दक्षिण भारत के मंदिरों में पाई जाती है।
35. 1 जुलाई 1942 से लेकर 10 सितंबर 1946 तक डॉक्टर अंबेडकर को वायसराय की कार्य साधक काउंसिल में लेबर मेंबर बनाया। मजदूरों को डॉक्टर अंबेडकर ने 8.3 प्रतिशत आरक्षण दिलवाया।
36. 1937 ईस्वी में अंग्रेजों ने भारत में प्रोविंशियल गवर्नमेंट का चुनाव करवाया था।
37. 1942 ईस्वी में अंग्रेजों से डाॅ0 अम्बेडकर ने 50 हजार हेक्टेयर भूमि को अछूतों एवं पिछड़ों में बांट देने के लिए अपील किया। अंग्रेजों ने 20 वर्षों की समय सीमा तय किया था।
38. अंग्रेजों ने शासन प्रशासन में ब्राह्मणों की भागीदारी को 100 प्रतिषत से 2.5 प्रतिषत पर लाकर खड़ा कर दिया था।

अन्य महत्त्वपूर्ण बिंदु ...

  • महा पण्डित राहुल सांस्कृत्यायन, वास्तविक नाम केदारनाथ पाण्डे है जो आजमगढ उत्तर प्रदेष का रहना वाला है। इन्होने “वोल्गा से गंगा” नाम की एक पुस्तक लिखी है जो 1942 में इसका पहला प्रकाषन पब्लिक हुआ। इस किताब में नाना साहब पेषवा और मंगल पाण्डे से कहते है कि हमें ब्राह्मणों की आजादी की लडाई लडनी चाहिए।
     
  • अंग्रेजो ने प्रदा प्रथा, सती प्रथा, दास-दासी प्रथा, गंगादान प्रथा, षुद्धिकरण प्रथा, चप्पल प्रथा, डाकन या डायन प्रथा, बाल विवाह प्रथा, दहेज प्रथा, बलि या नर बलि प्रथा, मुंडन प्रथा, कुकडी प्रथा, देवदासी प्रथा, बेगारी प्रथा, बलूतदारी प्रथा, वतनदारी प्रथा अन्य बहुत सारी प्रथाओ को समय समय पर कानून बनाकर समाप्त किया।
  • अंग्रेजो के भारत आने तक ब्राह्मणों ने अपने धर्म ग्रन्थों में खुब अवतार पैदा किये, नये नये ईष्वर को कल्पना के आधार पर चार हाथ, आठ हाथ, अठाराह हाथ को जन्म दिया लेकिन जैसे ही अंग्रेजो ने भारत में स्कूल काॅलेज सबके लिये खोले वैसे ही देवी-देवताओं ने अवतार लेना बन्द कर दिया। यहाॅ के भोले भाले लोगों को काल्पनिक कहानियों से डरा कर अन्धविष्वास पाखण्ड में झोंका।
  •  इन्ही सब वजह से ब्राह्मणों ने अंग्रेजो के खिलाफ राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन की आड़ में अंग्रेजो को भगाकर सत्ता अपने हाथ में ले ली । क्योकि अन्ग्रेजो ने शुद्रो और महिलाओं को सारे अधिकार दे दिये थे और सब जातियो के लोगो को एक समान अधिकार देकर सबको बराबरी मे लाकर खडा किया।
  •  3000 वर्षों की गुलामी के बाद भारत में दलितो, शोषितों के अच्छे दिन तब आये जब अंग्रेज भारत आये। दलितों और शोषितों को अधिकार मिले ।
  • भारत की आजादी की लडाई में सबसे ज्यादा कुर्बानी यहां के दलितों, शोषितों,  पिछडो व आदिवासियों ने दी है। लेकिन ब्राह्मण इतिहासकारों ने केवल एक उच्च वर्ग को किताबों में छापा है।

                                                                        (कपिल बौद्ध)

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