होली होलिका की कहानी

होली होलिका की कहानी

त्यौहारो पर कहानी क्यो? – आपने शायद कभी ध्यान किया हो कि भारत में हर त्यौहार (होली, दिवाली, दषहरा, रक्षाबन्धन आदि) पर एक कहानी से जोडा जाता है या सुनाई जाती है या बनाई गई है, पता है क्यों? ताकि इन त्यौहारो के पीछे की असली सच्चाई कोई जान सके, सब के सब इन्ही काहानियों में उलझे रहें। कुछ लोगों का मनना है कि त्यौहार का मतलब होता है त्यौ अर्थात तुम्हारी, और हार अर्थात पराजय या हार, यानी – ’’तुम्हारी हार’’

होली होलिका की कहानी

होलिका का परिवार

होलीका राजा हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप (हिरण्यसिपु) जो कि उत्तर प्रदेश के हरदोई (एरच) के राजा थे उनकी बहन थी। हिरण्यकश्यप का बेटे का नाम प्रहलाद था जो की होलिका का भतीजा था यानी होलीका प्रहलाद की बुआ थी। होलिका के पिता का नाम कश्यप और माता का नाम दिति था।

होलिका की झूठी कहानी

होली का त्यौहार मनाने पर बताया जाता है कि होलिका को अग्नि में ना जलने का वरदान था और प्रहलाद विष्णु का भक्त था जिस कारण उसके पिता हिरण्यकश्यप उसे विष्णु की भक्ति करने से मना करता था जिससे क्रोधित होकर उसके पिता हिरण्यकश्यप उसे अपनी बहन को कहते हैं की प्रहलाद को जान से करने के लिए अपनी गोद में लेकर अग्नि में बैठना है। चूकि प्रहलाद विष्णु का भक्त था इसलिए वह बच जाता है और होलिका वरदान होते हुए भी जल जाती है।

होली होलिका की कहानी

प्रश्न उठता है कि -

1. क्या ऐसा संभव है कि दो लोग अग्नि में बैठे और एक जल जाये और एक बच जाए।
2. क्या कोई पिता अपने पुत्र को इस बात के लिए कि वह उसकी बात नहीं मानता उसे जान से करने का प्रयास कर सकता है।
3. क्या कोई किसी को मारने के लिए अपनी बहन को अग्नि में बैठने को बोल सकता है।
4. क्या वरदान नाम की कोई चीज होती है अगर मान भी ले होती है तो भगवान द्वारा वरदान के बाद भी होलीका आग में कैसे जल गई वरदान का क्या फायदा।
5. क्या भगवान मक्कार और झूठे होते हैं जो अपने भक्त को वरदान कभी भी दे सकते हैं और कभी भी वापस ले सकते हैं ऐसे में फिर वरदान देने का क्या फायदा।

होलिका की वास्तविक कहानी

हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप हरदोई के राजा थे जिस कारण वह दूर-दूर तक राज करते थे और अपने शासन नियम से राजपाठ चलाते थे जो उसे समय के षड्यंत्रकारी लोगों को पसंद नहीं था। इसलिए उन्होंने राजा हिरण्याक्ष और हिरण्यकश्यप को बर्बाद करने की योजना बनाई, ताकि वह खुद व खुद बर्बाद हो जाए या मर जाए।
पुरानी कहावत है कि यदि किसी को बर्बाद करना है तो उसे दो चीजों की लत लगा दो 1- नशे की 2- कामवासना की। इसलिए षड्यंत्रकारी लोगों द्वारा हिरण्यकश्यप के बेटे प्रहलाद को निशाना बनाया और उसे धीरे-धीरे अपनी मंडली में शामिल कर नशे की लत लगा दी। इस पर जब हिरण्यकश्यप को पता चलता है तो वह प्रहलाद को एक पिता होने के नाते इसको बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करता। जिस कारण से हिरण्यकश्यप प्रहलाद को उन लोगों के पास जाने और उनके पास बैठने उठने से मना करता था। किंतु प्रहलाद को उन षड्यंत्रकारी लोगों द्वारा इतना भड़का दिया जाता है कि वह अपने पिता की कही गई बातों को नजरअंदाज करता है, जिस पर हिरण्यकश्यप क्रोधित होता है और प्रहलाद को डाटता और मारता है। जिससे नाराज होकर प्रहलाद महल से बाहर चला जाता है। जब वह वापस नहीं लौटता तो उसको ढूंढने के लिए कुछ लोगों को भेजा जाता है। लेकिन वह वापस नहीं आता इस पर होलिका द्वारा जो की प्रहलाद की बुआ थी बुआ होने के नाते वह हिरण्यकश्यप से कहती है कि मैं प्रहलाद को घर वापस लेकर आऊंगी।

होली को सुबह क्यों जलाया जाता है?

होलीका एक सुंदर कन्या थी जिसकी षादी तय हो रखी थी उसके मंगेतर इलोजी था। होलिका जब प्रहलाद को ढूंढने के लिए घर से बाहर निकलती है तो वह इस बात से बेखबर थी कि कुछ लोग घात लगाए बैठे हैं। वह बेखबर भतीजे के मोह में अंधेरे में ढूंढते हुए राजमहल से दूर निकल जाती है, जहां पर उन षड्यंत्रकारीयों की नजर होलिका पर पड़ जाती है वह उसे अकेला देख घेर लेते हैं और मौके का फायदा उठाकर नशे की हालत में उसके साथ दुराचार करते हैं और उसे बंधक बनाकर छुपा देते हैं। नशे की हालत में वह उसे एक कूड़े के ढेर में छुपा देते हैं और पता न चलने के डर से उसे सुबह भौर (सुबह के दिन निकलने का समय) के समय जला देते हैं यही कारण है कि होलिका को सुबह के भौर के समय जलाकर होली मनाई जाती है।

होलिका दहन के बाद

हिरण्यकश्यप अपने बेटे और होलिका के वापस न आने पर क्रोधित होता है और कुछ विश्वसनीय लोगों को ढूंढने के लिए भेजता है जिस पर हिरण्यकश्यप को पता चलता है कि कुछ अज्ञात लोगों द्वारा होलिका को दुराचार कर मार दिया गया है तब हिरण्यकश्यप व उसका भाई, होलिका का मंगेतर वह होलिका को ढूंढने के लिए एक साथ निकलते हैं लेकिन तब तक उन्होंने षड्यंत्रकारी लोगों द्वारा होलिका को जलाकर मार दिया था जिस पर हिरण्यकश्यप व होलिका का मंगेतर पश्चाताप करते हैं।

होली होलिका की कहानी

होली में रंग या गुलाल क्यों

क्योंकि उस समय कानून विधान नहीं था केवल राजा द्वारा बनाए गए शासन नियमों को ही पालन किया जाता था और होलिका के इस घटना के बाद किसी को भी यह नहीं पता था कि इस घटना को अंजाम किसने दिया है इसलिए षक के बिना पर उन षड्यंत्रकारी लोगों को पकड़ा जाता है और प्रजा द्वारा उनको कायर, निकम्मा अन्य शब्दों से बुलाकर उनके मुंह पर कालिख लगाकर पूरे राज्य में घुमाया जाता है यही कारण है की होली में रंग लगाया जाता है जिसे गुलाल के नाम से जाना जाता है गुलाल को अबीर कहा जाता है जिसका अर्थ ’’कायर’’ होता है।

निष्कर्ष

1. होलीका अच्छी थी तो जलाते क्यों हैं और बुरी थी तो पूजते क्यों है?
2. होली का त्यौहार रंगो का नही कायरता का प्रतीक है क्योकि होली में गुलाल यानी अबीर (कायर, निक्ममा, बुज्दि़ल) लगाया जाता है।
3. भारत में एक तरफ तो औरत को देवी का सम्मान दिया जाता है और दूसरी तरफ उसे जलाया जाता है। 

                                                                      कपिल बौद्ध 

 

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