भारत के गद्दार कौन ?
भारत के गद्दार कौन? में लिस्ट बहुत लम्बी है। भारत के इतिहास में इतना घालमेल है कि यह बताना और अंदाजा लगाना मुष्किल है कि इतिहास में कौन कितना बडा गद्दार है। क्योकि इतिहस लिखने वाले, इतिहास को छापने वाले, और इतिहास बताने वाले एक जाति विशेष के लोग हैं इसलिये उन्होने इतिहास को केवल एक ढंग से लिखने व छापने का काम किया है इसलिये भारत का ज्यादातर पढा-लिखा युवा, इतिहास के केवल एक पहलू को पढते और समझते है। आइए आज भारत देश के सबसे बड़े गद्दारों के विषय में जानते हैं :-

सिक्ख गुरु गोविंद सिंह के साथ गद्दारी करने वाला कौन?
पंडित गंगा दत्त (गंगू पंडित) – इस गद्दा‘र के संदर्भ में जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जायेंगे ! गंगू पंडित, सिक्ख गुरु, गुरु गोविंद सिंह का रसोइया था। जिसमें गुरु गोविंद सिंह के बेटे जोरावर सिंह (7 वर्ष) और फतेह सिंह (5 वर्ष) का पता मुगल वजीर खां को बताकर ‘दिवार‘ में चुनवा दिया था, और मुगलों से सोने का मुहर उपहार लिया था।
पंडित महेश दास दूबे (पंडित बीरबल)-
पंडित महेश दास दूबे (पंडित बीरबल)- बीरबल मुगल सम्राट अकबर के प्रमुख वजीर थे, और अकबर के नौ रत्नों में सबसे प्रमुख थे। अकबर द्वारा चलाए गये ‘‘दीन-ए-इलाही‘‘ धर्म को मात्र एक हिन्दू पंडित बीरबल ने ही स्वीकार किया था! बीरबल के ही सलाह पर अकबर हिंदू महिलाओं का ‘मीना बाजार‘ लगवाता था ! अकबर द्वारा समस्त हिन्दू विरोधी कार्यों मे सबसे प्रमुख योगदान पंडित बीरबल का रहा क्योंकि वही अकबर के मुख्य सलाहकार थे।
तानसेन (रामतनु पाण्डेय) -
तानसेन (रामतनु पाण्डेय) – अकबर के नवरत्नों में से एक तानसेन जो मुगलों के लिए संगीत गायन और ठुमके लगाते थे।
पंडित राघव चेतन-
पंडित राघव चेतन- इसने अलाउद्दीन खिलजी से संबंध बनाकर हिंदू शासक राजा रतन सिंह के ऊपर हमला करवाए, जिसके फलस्वरूप सभी हिंदू योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए और सती माता पद्मावती के नेतृत्व में 16000 वीरांगनाओं ने जौहर किया।
शिवा जी महाराज के साथ गद्दारी करने वाला कौन?
पंडित भास्कर कुलकर्णी – यह अफगान आक्रांता अफजल खान के वकील थे, और इन्होंने अफजल खान को खुश करने के लिए ‘‘शिवा जी महाराज‘‘ पर धोखे से त‘लवार से वार किया था।

सम्राट पृथ्वीराज चौहान के साथ गद्दारी करने वाला कौन?
पंडित माधो भट्ट- यह तंवर राजपूतों के राजदरबारी थे, यह लालच वश मोहम्मद गौरी के जाकर मिले और सम्राट पृथ्वीराज चौहान पर हमला करवाए।
पंडित जगन्नाथ -
पंडित जगन्नाथ- यह मुगल अकबर के बेटे जहांगीर के राजदरबारी थे और हिंदु विरोधी कृत्यों में सम्मिलित थे।
पंडित चंद्रभान ब्राह्मण-
पंडित चंद्रभान ब्राह्मण- यह मुगल जहांगीर के मुंशी थे, और मुगलों के महिमा मंडल में ‘‘चार चमन‘‘ पुस्तक लिखी थी ।
पंडित रविराज शर्मा-
पंडित रविराज शर्मा- इन्होंने तो श्रृष्टि में सबसे अलग कार्य किया है, इन्होंने अल्ला को ईश्वर का दूत लिखा, और मुगलों व अल्ला के गुणगान में नये ग्रंथ ‘अल्लोपनिषद” अर्थात ‘अल्ला का उपनिषद‘ ही लिख दिया। इन्हीं वजहों से अन्य धर्मो के लोगों कों मुसलमानों में कन्वर्ट किया गया था।
पंडित चैतोदास -
पंडित चैतोदास- मुगलों से मिलकर सिक्खों के गुरु तेग बहादुर सिंह के साथ धोखा कर म‘रवा दिया था।
पंडित राजा दाहिर -
पंडित राजा दाहिर – सिंध का राजा था जिसने अपनी सगी बहन से शादी करी इसी ने मोहम्मद बिन कासिम को भारत पर आक्रमण के लिए बुलाया था।
पंडित वीरभद्र तिवारी-
पंडित वीरभद्र तिवारी- 5000 रुपये कि लालच के लिए ‘‘चंद्रशेखर आजाद‘‘ का पता अंग्रेजों को बताकर चंद्रशेखर आजाद को मरवा दिया था। इस गद्दार ने चन्द्रषेखर आजाद की मुखबरी की थी।
भगत सिंह -
भगत सिंह – को पकडे जाने के बाद भगत सिंह के विरूद्ध केस लडने वाला ’’राय बहादुर सूर्यनारायण शर्मा’’ था अदालत में उनका पक्ष रखने वाले वकील आसफ अली थे इसके अलावा भगत सिंह के खिलाफ गवाही देने वालो में क्रांतिकारी दल एच.एस.आर.ए के सदस्य थे। पहला था फनिन्द्रर नाथ घोश था जिसकी गवाही से भगत सिंह को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ जिसके बदले में अंग्रेजो ने उसे 50 एकड जमीन दी थी। दूसरा जय गोपाल था, तीसरा हंसराज बोहरा था। चौथा मनमोहन बेनर्जी था, जो फनिन्द्रर नाथ घोश का चेला था। पांचवा था ललित कुमार मुखर्जी/कैलाष पति। हंसराज बोहरा को छोडकर सभी को अंग्रेजो ने सरकारी गवाह बनने के लिये इनाम में 20-20 हजार रू0 दीये थे। हंसराज बोहरा ने पैसे न लेकर षर्त रखी थी कि उसे पैसो के बदले लंदन पढने के लिये भेज दिया जाये।

छत्रपति शिवाजी महाराज -
छत्रपति शिवाजी महाराज – जब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक के लिए कोई ब्राह्मण तैयार नहीं हुआ था तब छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक वाराणसी के पंडित गागा भट्ट ने अपने पैर के अंगूठे से किया था जो की एक आँख से काना था 6 जून, 1674 को रायगढ़ किले में हुए इस समारोह में पंडित गागा भट्ट ने वैदिक रीति-रिवाजों से शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक किया था।
संत गुरू रविदास जी -
संत गुरू रविदास जी – संत गुरू रविदास जी की मृत्यु राजस्थान में चित्तौड के राजा राणा सांगा के कुम्भ ष्याम मंदिर के प्रांगण में की गई थी। संत गुरू रविदास जी की षिश्या मीराबाई चित्तौड के राजा राणा सांगा की भतीजी थी। आज भी यह प्रष्न खडा होता है कि आखिर वह गद्दार कौन था जिसके कारण संत रैदास जी के साथ छल कर मारा गया था।
संत गुरू कबीरदास जी -
संत गुरू कबीरदास जी – संत गुरू कबीरदास जी की मृत्यु साजिष के तहत ’’मगहर’’ उत्तर प्रदेष में हुई थी। जो गोरखपुर से 30 किलोमीटर की दूरी पर और वर्तमान में मगहर संत कबीरनगर जिले में पडता है। संत गुरू कबीरदास जी पर अरोप लगाया गया की उन्होने इस्लाम कबूल करने से मना कर दिया जिस कारण उन्हे सिकंदर लोधी ने हाथी के पैरो तले कुचलवा दिया था। इसके अलावा अनेको मनगडत कहानियाॅ बना कर सच को छुपा दिया गया।
राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले -
राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले – राष्ट्रपिता ज्योतिबा फूले को मारने के लिये रोडे व प0 धोंडीराम नामदेव को आधी रात में उनके घर हत्या करने के लिये भेजा गया था। इस घटना का पूरा वृतांत धनंजय कीर द्वारा लिखित महात्मा फूले की बायोग्राफी में दी गई है।

बृहदरथ मौर्य -
बृहदरथ मौर्य – की हत्या पुश्यमित्र षुंग ने 185 ईसा पूर्व धोखे से विजयदषमी पर्व के दिन पीठ पीछे से तलवार घोप कर की थी। बृहदरथ मौर्य, मौर्य वंष के दषवें व समराट असोक के वंषज थे।
नालंदा विश्वविद्ययालय -
नालंदा विश्वविद्यालय – डी. एन. झा ने तिब्बती बौद्ध धर्मग्रंथ ‘परासम-जोन-संग’ को उद्धृत करते हुए बताया है कि हिंदू अंध श्रद्धालुओं द्वारा नालंदा को पुस्तकालय जलाया गया था। (स्रोत- हिदू पहचान की खोज, पृ.38, डी. एन. झा) उनके इस मत की पुष्टि इतिहासकार बी. एन. एस. यादव भी करते हैं, उन्होंने लिखा है कि “आमतौर पर यह माना जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय को बख्तियार खिलजी ने नष्ट किया था, जबकि उसे हिंदुओं ने नष्ट किया था।” इतिहासकार डी. आर. पाटिल को उद्धृत करते हुए वे लिखते हैं कि “ उसे (नालंदा विश्वविद्यालय) शैवों (हिंदुओं) ने बर्बाद किया।”
कपिल बौद्ध
भारत के गद्दार कौन? FULL PDF DOWNLOAD