बौद्ध गया टेंपल

बौद्ध गया महाबोधि महाविहार आंदोलन

परिचयः- बौद्ध गया टेंपल का आंदोलन 12 फरवरी 2025 से वर्तमान तक लगातार चल रहा है। बौद्ध गया टेंपल (Boddh Gaya Temple) को महाबौधि महाविहार बौधगया के नाम से पूरी दुनिया में इसलिये जाना जाता है क्योकि यहां तथागत गौतम बुद्ध ने 06 वर्षो तक तप कर ज्ञान प्राप्त किया था। इसका निर्माण सम्राट अशोक ने 3 शताब्दी ईसा पूर्व में बनवाया था। लेकिन इसका मंदिर निर्माण कार्य 5 वीं और 06 वीं शताब्दी में गुप्तकाल के अंतिम दौर का मंदिर है। यूनेस्को ने इसे साल 2002 में वल्र्ड हेरिटेस (world heritage) साइट घोषित कर दिया था।

बौद्ध गया टेंपल

बौद्ध गया टेंपल कमेटी क्या है ?

इस बौद्ध गया टेंपल की जिम्मेदारी बौद्ध गया टेंपल मैनेजमेंट कमेटी (BTMC – बी.टी.एम.सी.) के हाथो में है। इस कमेटी का गठन साल 1949 में बी.टी.एम.सी. के तहत हुआ। इस कमेटी के तहत 09 सदस्य होते हैं जिनमे 04 बुद्धिस्ट 04 गैर बुद्धिस्ट यानि हिन्दू और एक अध्यक्ष जो की जिले का अधिकारी होगा और भी हिन्दू होना चाहिए। मतलब बुद्धिस्ट टेम्पल में बुद्धिस्ट का ही समर्थन का आभाव है जो की साज़िश के तहत किया गया है। महाबौधि मंदिर दुनिया में एकमात्र उदाहरण है जहां किसी धर्म के सबसे पवित्र स्थल का नियंत्रण किसी दूसरे धर्म के लोगो के हाथ में है।

बौद्ध गया टेंपल कमेटी के नियम

इस एक्ट के सेक्सन 3 के मुताबित इस अधिनियम के लागू होने के बाद, राज्य सरकार समिति का गठन करेगी। इस समिति को मंदिर की भूमि और उससे जुडी संपत्तियों का प्रबंधन और नियंत्रण सौंपा जाएगा।
समिति में एक अध्यक्ष और आठ सदस्य होगें, जिन्हें राज्य सरकार नामित करेगी। सभी सदस्य भारतीय नागरिक होगें। इनमें से चार सदस्य बौद्ध धर्म के होगें और चार हिन्दू धर्म के होगें। जिनमें महंत (मुख्य पुजारी) भी शामिल होगें। यदि महतं नाबालिग है, मानसिक रूप से अस्वस्थ है या समिति में शामिल नही होना चाहते, तो उनकी जगह किसी अन्य हिंदू सदस्य को नामित किया जाएगा।
गया जिले के जिला मजिस्ट्रेट समिति के स्वतः अध्यक्ष होगें। यदि जिला मजिस्ट्रेट हिन्दू नही हैं तो उस अवधि के लिए राज्य सरकार किसी हिन्दू को अध्यक्ष के रूप में नामित करेगी।
राज्य सरकार समिति के सदस्यों में से किसी एक को सचिव के रूप में नामित करेगी।

बौद्ध गया टेंपल विवाद की जड़

बौद्ध गया टेंपल के पूरे विवाद की जड़ उपरोक्त बौद्ध गया टेंपल एक्ट 1949 है। इस एक्ट के अनुसार कमेटी में हिन्दूओ को रखा गया है, जो की पूर्ण रूप से गलत है। क्योंकि बुद्धिस्टों का कहना है की जिस प्रकार किसी हिन्दू मंदिर कमेटी में गैर हिन्दू नही होता, जिस प्रकार किसी मस्जिद कमेटी में गैर मुस्लिम नही होता, जिस प्रकार किसी गुरूद्वारा कमेटी में गैर सिक्ख नही होता, और जिस प्रकार किसी चर्च कमेटी में गैर ईसाई नही होता, ठीक उसी प्रकार बुद्धिस्ट टेंपल कमेटी में गैर बुद्धिस्ट नही होना चाहिए। ऐसी बुद्धिस्टो, बुद्धिस्ट संगठनो और बुद्धिस्ट धम्म गुरूओ (भंते, भिक्षु) की मांग है।

बौद्ध गया टेंपल

बौद्ध गया टेंपल की स्वतंत्रता की माॅग

बौद्ध गया टेंपल की स्वतंत्रता की माॅग पहली बार नही हो रही है इससे पहले भी कई बार इसकी माॅग हो चुकी है। श्रीलंका के अनागारिक धर्मपाल बौद्व जी ने इसकी माॅग सबसे पहले अपनी भारत यात्रा में वर्ष 1891 में उठाई थी। अनागारिक धर्मपाल बौद्व जी ने बुद्धिस्ट स्थानो को चिन्हित कर खुदाई और उनका पुर्नउत्खान का काम किया था। 1922 में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में बौद्ध भिक्खुओ ने बौद्ध गया मंदिर के अधिकार का मुद्दा उठाया था। साल 1992 में अखिल भारतीय महाबौधी महाविहार मुक्ति आन्दोलन समिति ने बौद्ध मंदिर बौद्धों को सौपने की माॅग उठाई। इस आन्दोलन में अखिल भारतीय भिक्षु महा संघ और बुद्धिस्ट सोसाइटी ऑफ इण्डिया भी शामिल रही। यह आंदोलन लगभग 86 दिनो तक चला। वर्ष 1995 में सरकार की कूटनीति से इस आंदोलन को कर रहे लोगो को इस मंदिर कमेटी का सदस्य बना दिया, और इस आंदोलन को समाप्त कर दिया।

बौद्ध गया टेंपल आंदोलन को दबाने का प्रयास

28 फरवरी 2025 को की मध्यरात्रि को पुलिस बल द्वारा बिमारी का छलावा करके आंदोलन स्थल से उठाया गया। आंदोलन कारियो को एफ.आई.आर. (FIR) का डर दिखाया गया। इसके अलावा जिला मजिस्ट्रेट द्वारा कहा जाता है कि छोटा-मोटा आंदोलन है, आंदोलन में दम नही है और कम संख्या है इसलिये आपकी माॅग को विचार करना मुश्किल है। हम आपकी माॅग को गृह मंत्रालय तक पहुॅचा देंगें।

बौद्ध गया टेंपल वर्तमान आंदोलन

बौद्ध गया टेंपल आंदोलन का नेतृत्व वर्तमान में आल इण्डिया बुद्धिस्ट फोरम कर रहा है। इसके अध्यक्ष जम्बू लामा है। इस आंदोलन को अब अन्य बुद्धिस्ट संगठनो और आम्बेडकरवादी लोगो का समर्थन मिल रहा है। इसकी आवाज अब अमेरिका में भी लगभग 50 से अधिक संगठानो द्वारा की जा रही है। इसके अलावा देश के अलग अलग हिस्सो राज्यो से भी समर्थन मिल रहा है और आंदोलन बडा रूप ले रहा है।

बौद्ध गया टेंपल

बौद्ध गया टेंपल आंदोलन को समर्थन

बौद्ध गया टेंपल के वर्तमान आंदोलन को भंते आनन्द, भंते करूणाशील राहुल, भंते सुमित रत्न, भंते वीनाचर्या जी, भंते प्रज्ञाशील जी, भंते अकाश लांबा जी आदि भंते जी द्वारा व भीम आर्मी संगठन, ऑफ इण्डिया बुद्धिस्ट फोरम अन्य बुद्धिस्ट और अम्बेडकरवादी संगठनो का समर्थन मिला है।

बौद्ध गया टेंपल आंदोलन में समर्थन का आभाव

सबसे अहम बात यह है कि इस वर्तमान आंदोलन में अखिल भारतीय महाबौधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन समिति (अध्यक्ष प्रज्ञातीत) और बौध गया टेंपल के बी.एम.टी.सी. के चार बौध सदस्य भी इसका हिस्सा नही है। भिक्षु प्रज्ञाशील का आरोप है कि अखिल भारतीय महाबौधि महाविहार मुक्ति आन्दोलन समिति व प्रज्ञातीत आर.एस.एस (RSS) से मिले हुये हैं।

बौद्ध गया टेंपल आंदोलन निष्कर्ष व अपील

आंदोलन को मजबूत करने की आवश्यकता है तथा इस आंदोलन में डटे रहने की आवश्यकता है। आंदोलन आपसी सहमति के अभाव के कारण कमजोर पड जाता है और सफल नही हो पाता है। इसलिये धम्मचक्र आपसे निवेदन करता है कि बौद्ध गया महाबोधि महाविहार आंदोलन की मुहिम में ज्यादा से ज्यादा समर्थन दें, तथा हर सम्भव तरीके से साथ दें। जय भीम नमो बुधाय!

                                                                         (कपिल बौद्ध)

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