बटेंगें तो कटेंगें (If you divide you will be divided)

परिचयः- ’’बटेंगें तो कटेंगें’’

’’बटेंगें तो कटेंगें’’ ऐसी मानसिकता के लोग स्वार्थी होते हैं इनका आई क्यू (IQ) लेवल बहुत कम पाया जाता है। ऐसे लोग मानसिक बिमारी से ग्रसित होते हैं लेकिन इनको लगता है कि हम जो कर रहे हैं वही सही है। इनका धर्म कहता है कि केवल अपना धर्म रहे बाकी चाहे कंही भी जायें। जबकि एक अच्छा धर्म या मानवता यह कहती है कि यदि कोई धर्म किसी दूसरे धर्म के लोगों को मारकर, केवल अपने धर्म के लोगों को जीना सीखाता है तो वह वास्तव में धर्म नही हो सकता है सीएम योगी यह ब्यान एक राजनीति के अलावा ओर कुछ नही। इस पर अखिलेष यादव ने कहा न बटेंगें और न कटेंगें। वर्तमान में चूंकि इलेक्सन का दौर है इसलिये ऐसे ब्यानबाजी होना स्वभाविक हैं। ऐसे ब्यानों को लेकर गम्भीर होना, व्यर्थ है। 

बटेंगें तो कटेंगें

धर्म का बीज -

शायद कुछ लोग भूल जाते हैं की इंसान ने धर्म को बनाया है न कि धर्म ने इंसान को। यहां गलती तब होती है जब लोग मानवता से उपर धर्म को समझते हैं और ऐसा इसलिये होता है क्योंकि अलग अलग धर्मो के गुरू, लोगो के दिमाग में ’’धर्म की अफीम’’ बोते हैं। जिसके नषे में उसे लगता है कि यही वास्तविकता है। धर्मो के गुरू ऐसा इसलिये करते हैं क्योंकि उनकी दुकाने इसी धर्म की नफरत के धन्धे से चलती हैं।

हिन्दुओ का बटवांरा -

’’बटेंगें तो कटेंगें’’ का नारा देने वाले आज तक धर्म का निर्णय नही ले पाये, मुगल काल में इन्होने अपने आप को वैदिक धर्म, ब्रिटिष काल में आर्य धर्म, आजादी के समय हिन्दू धर्म और 2021 के बाद सनातन धर्म बोला है। कमाल की बात यह है कि अपने धर्म की किताबों में बाटने और तोडने वाले अब कहते नजर आ रहे है कि हिन्दुओ/सनातनीयो एक हो जाओं, इनका मजहब कहता है कि तुम कभी एक नही हो सकते। 6743 जातियों में तोडने वाले, बात बात में जाती की गालीयां देने वाले, जात पात को मानने वाले, जातियों के नाम पर हिंसा करने वाले, अब एक धर्म विषेश के खिलाफ लोगों को भडका कर ये कहते हैं कि हिन्दुओ/सनातनीयो एक हो जाओ।

कभी सोचा है -

कभी सोचा है कि इस प्रकार की मानसिकता वाले लोग हिन्दू राष्ट्र कि मांग क्यों करते हैं, नही तो आइये आपको समझाते हैं – क्योंकि हिन्दू धर्म में वर्ण व्यवस्था है और वर्ण व्यवस्था के अनुसार शूद्र को अधिकारों से वंचित किया गया है इसलिये हिन्दू राष्ट्र बनाने में शूद्र इनका साथ दे सके – ताकि आपको फिर से गुलाम बनाया जा सके।
1- ताकि आपको फिर से धन/सम्पत्ति रखने से वंचित किया जा सके।
2- ताकि आपको फिर से शिक्षा से वंचित किया जा सके।
3- ताकि आपको फिर से रोजगार करने से रोका जा सके।
4- ताकि आपको फिर से गोबरबा खाने पर मजबूर किया जा सके।
5- ताकि आपको फिर से उपरोक्त तीनो वर्णो की सेवा करने के लिये मजबूर किया जा सके।
6- ताकि आपको फिर से मंदिर में जाने से रोका जा सके।
7- ताकि आपको फिर से घोडी पर चडने से रोका जा सके।
8- ताकि आपको फिर से मुछे रखने पर पीटा जा सके।
8- ताकि आपको फिर से सार्वजनिक स्थानो पर पानी पीने पर रोका जा सके।
9- ताकि आपको फिर से जानवरो की तरह पीटा जा सके।
10- ताकि आपकी बहु बेटियों के साथ शुद्धिकरण के नाम पर बालात्कार किया जा सके।
11- ताकि फिर से एक लव्य का अंगूठा कटवाया जा सके।
12- ताकि फिर से शम्बूक ऋषि की भाॅति कोई राम गर्दन काट सके।
13- ताकि फिर से आपके पूर्वजो को राक्षस, दानव, दैत्य आदि नामो से बुरा बनाया जा सके।

बटेंगें तो कटेंगें

वास्तविक घटनाओ पर प्रशन जो खडे होते हैं -

  •  केरल मंडया जिले कालाभैरवेश्रवर मंदिर में नवम्बर 2024 की घटना – मंडया जिले कालाभैरवेश्रवर मंदिर में दलितो के मंदिर में प्रवेष करने पर भगवान की मूर्ति को मंदिर उठाकर बाहर ले गये। एक होने का नारा देने वाले तब कहां चले जाते हैं जब एक जाति विषेश को अपने ही धर्म के मंदिर में जाने से रोका जाता है। (11 नवम्बर 2024 हिन्दुस्तान)
  •  राजस्थान घटना – जालोर जिले के सायला उपखण्ड क्षेत्र के गांव सुराणा, जब एक जाति विषेश के बच्चे द्वारा मटके से पानी पिने पर उसे इस तरह मारा जाता है की वह अस्पताल में दम तोड देता है एक होने का नारा देने वाले तब कहां चले जाते हैं । (13 अगस्त 2022 आजतक)
  •  उत्तराखण्ड के उत्तरकाषी के मोरी क्षेत्र के सालरा गांव – में एक दलित को मन्दिर में प्रवेष के कारण रात भर मन्दिर में बाॅधकर जलती हुई लकडी से मारा पीटा गया, तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (11 जनवरी 2023 अमर उजाला)
  •  मध्यप्रदेष के जिला नरसिंहपुर थाना गाडरवारा क्षेत्र में – दलित को रूपए देने के बहाने घर से बाहर ले जा कर उसके साथ मारपीट की और उसे पेषाब पिलाई गई। तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (06 अगस्त 2024 आजतक, नवभारत टाइम्स)
  •  मध्यप्रदेष के जुलाई 2023 – को एक आदिवासी लडके को पेषाब पिलाने की घटना घटित हुई। नेता जी के वादे अधूरे! ‘सीधी पेशाब कांड‘ पीड़ति का छलका दर्द, बोला- अब कोई को नहीं दिखता। (26 अक्टूबर 2023 नवभारत टाइम्स)
  •  उत्तराखण्ड में जिला नैनीताल – के हल्द्वानी षहर में बिन्दुखत्ता क्षेत्र में एक दलित द्वारा अपने घर बनाने का प्रयास किया तो पडोसी ब्राहामण महिला द्वारा दलित पडोसी को जाति सूचक षब्दो का प्रयोग करते घर न बनाने की नसिहत देते हुए चेतावनी देते हुए कहा की यहां का महौल खराब मत करो, तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (18 अगस्त 2020 जनज्वार मीडिया)
  •  उत्तराखण्ड में जिला नैनीताल के ओखलाकांडा ब्लाॅक – के एक गांव में बने क्वारंटाइन सेंटर में दो युवको ने दलित महिला के हाथ का खाना खाने से इनकार कर दिया, तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (19 मई 2020 न्यूज 18 व जागरण न्यूज)
  •  उत्तराखण्ड में जिला चम्पावत के सूखीढांग क्षेत्र – में सवर्ण छात्रों ने दलित महिला के हाथो का खाना खाने से इन्कार कर दिया, तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (24 दिसम्बर 2021 बीबीसी न्यूज)
  •  उत्तराखण्ड में जिला चमोली जोषीमठ – के गांव सुभाई चांचडी क्षेत्र में धार्मिक आयोजन में ढोल न बजाने पर दलित परिवार पर 5000/- रू का जुर्माना व उनका हुक्का-पानी बन्द कर दिया, तब इनका हिन्दुत्ववाद/सनातनवाद कहाॅ चला जाता है। (18 जुलाई 2024)
  •  उत्तर प्रदेष के जिला हाथरस में – 14 सितम्बर 2020 को दलित लडकी के साथ हुई हैवानियत और हत्याकांड को चार साल बाद भी न्याय नही मिला परिवार का कहना है कि चार साल बाद भी हमें कैद जैसी जिंदगी बितानी पड रही है। (15 सितम्बर 2024 नवभारत टाइम्स)
    ’’बटेंगें तो कटेंगें’’ का नारा देने वाले ये बतायें कि उपरोक्त घटनाओं में विराधी/शोषणकर्ता कौन है? मुस्लिम, सिक्ख, ईसाइ, जैन, बुद्धिस्ट या कोई और ?

धर्म ग्रंथों (religious texts) में हमारे लिए क्या लिखा है?-

  • रामचरित मानस में तुलसीदास ने हमारे लिए क्या लिखा-
    शुद्र, गवार, ढोल, पशु, नारी, सकल तारना के अधिकारी।
    अर्थात – ढोल, गवार, शुद्र, पशु ओैर नारी यह सब पीटने के पात्र हैं
  • तुलसीदास दुबे ने रामचरितमानस में लिखा है –
    पूजहि विप्र सकल गुण हीना । शुद्र न पूजहु वेद प्रवीणा॥
    अर्थात – ब्राह्मण चाहे कितना भी ज्ञान गुण से रहित हो, उसकी पूजा करनी ही चाहिए, और शूद्र चाहे कितना भी गुणी ज्ञानी हो, वो कभी पूजनीय नही हो सकता॥
  •  मानस उत्तरकांड100-5 – 
    जे बरणाधम तेली कुम्हारा स्वपच किरात कोल कलवारा।
    अर्थात- तेली, कुम्हार, स्वपच, किरात, कोल, कलवार यह सब अधम और नीच होते हैं
  •  मानस उत्तर कांड 130-
    अभीर जमन किरात खस स्वपचादि अति अध रूप जे।
    अर्थात – अहीर किरात यमन खस कोल यह सब पापी होते हैं
  •  मानस अयोध्या काण्ड 194/3 – में निषादराज से तुलसीदास कहलवाते है कि- लोक वेद सब भाँतिही नीचा जासु छाँह छुई लेइस सींचा।
    अर्थात – जो निषाद लोक और वेद में सब तरह के नीच होते हैं और उनकी छाया के छू जाने मात्र से भी स्नान करना पड़ता है।
  •  गौतम धर्मसूत्र-2/3/4 में लिखा है कि-
    यदि शुद्र किसी के पढ़ते हुए सुन ले तो उसके कानों में पिघला हुआ शीशा, रांगा, लाख डाल देना चाहिए।
    यदि शुद्र वेदमंत्र का उच्चारण करे तो उसकी जीभ काट देनी चाहिए।
    यदि शुद्र वेद मंत्र को याद कर ले तो उसका शरीर चिरवा देनी चाहिए।
बटेंगें तो कटेंगें

ये वही लोग हैं -

  • ये वही लोग हैं जो भारत के प्रथम राष्ट्रपति मा. राजेन्द्र प्रसाद जी को राष्ट्रपति बनने के बाद काशी के पंडितों नें अपना पैर धुलवाया था।
  • ये वही लोग हैं जो जगजीवन राम द्वारा संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणासी में पंडित गोबिन्द बल्लभ पन्त की मूर्ति के अनावरण के बाद उसे गंगा जल से धुलवाया था। क्योंकि एक अछूत ने अनावरण किया है।
  •  ये वही लोग हैं जो उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मा. अखिलेश यादव जी के द्वारा अपना मुख्यमंत्री निवास खाली करने के बाद मुख्यमंत्री योगी जी ने उसे गंगाजल से धुलवाया था। क्योंकि उसमें शुद्र रहता था।
  •  ये वही लोग हैं जो भारत के पूर्व राष्ट्रपति मा. रामनाथ कोविंद जी को पुष्कर मंदिर के बाहर सीढ़ियों पर ही पूजा अर्चना करवाये थे क्यों कि वे शुद्र थे।
  •  ये वही लोग हैं जो नए संसद भवन के उद्घाटन में मा. राष्ट्रपति मुर्मू जी को नहीं बुलवाये थे क्योंकि वह अछूत थीं। ऐसे सैकड़ों उदाहरण मिलेंगें।

अतः बार बार मनुस्मृति, भृगुसंहिता, गौतमधर्मसूत्र, रामचरित मानस आदि धर्मग्रंथों का विधिवत तार्किक तौर पर अध्ययन करें और बौद्ध धम्म, भारत का संविधान, जाति का विनाश, गुलामगिरी, बालू की रेत पर खड़ा हिंदू धर्म जैसी किताबों का भी अध्धयन करें तथा बहुजन महापुरुषों, विद्वानों के किताबों का भी अध्ययन कर लें। साजिश को जानें उनसे सतर्क रहें, जागते रहें, जगाते रहें, लोंगों को बताते रहें।

                                                                                                                           (कपिल बौद्ध)

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